Thursday, October 05, 2006

मुराद

कल लश्कारों में रहगुज़र, किस मुराद पे जिए,
आज तन्हा दिल बेचारा, किस मुराद पे जिए,
कल था एक कारवाँ पैर मंज़िल एक ख्वाब,
आज मंज़िल है रूबरू पर किस मुराद को जियें ...

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